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स्टोमा (आँतों का पेट के ऊपर बाई पास ): क्या और कैसे करें देखभाल

स्टोमा क्या है

मनुष्य प्राकृतिक रूप से मल अपने मलद्वार से त्याग करता है . कुछ बीमारियों में जब ऑपरेशन कर के मल निकलने का मार्ग मलद्वार की जगह पेट के ऊपर बना दिया जाता है तो उसे स्टोमा कहा जाता है

स्टोमा कितने प्रकार के होते हैं

आप तौर पर मल त्याग करने वाले स्टोमा दो प्रकार के होते हैं :

  • बड़ी आंत का स्टोमा
  • छोटी आंत का स्टोमा

कैसा दिखता है स्टोमा

स्टोमा पेट के ऊपर उभरा हुआ होता है .  आम तौर पर लाल गुलाबी फूल की तरह दिखता है . इसमें बीच में एक छेद दिखता  है जिसमे से मल और गैस बाहर आता है  . हालांकि आम इंसान को शुरू में इसको देख कर भय लग सकता है किन्तु इस को छूने से कोई दर्द या एहसास नहीं होता है

क्या स्टोमा स्थायी (परमानेंट) होती है

नहीं…. सभी स्टोमा परमानेंट नहीं होती. कोई स्टोमा टेम्पररी है या परमानेंट है यह मरीज़ की बीमारी और हेल्थ स्टेटस के ऊपर निर्भर करता है

स्टोमा से कैसा मल बाहर आता है

यह निर्भर करता है की बड़ी आंत का स्टोमा है ( अधिकतर सॉफ्ट बंधा  हुआ मल आता है) या फिर छोटी आंत का स्टोमा ( अधिकतर तरल पदार्थ बाहर आता है ). आप के खाने पीने के ऊपर भी ये निर्भर करता है 

रख रखाव

जब आप हॉस्पिटल में रहेंगे तो आप को और आप के परिवार के लोगों को स्टोमा के रख रखाव के बारे में सिखाया जायेगा. हमारी सलाह रहती है की आप सभी चीज़ें हॉस्पिटल में ही सीख लें जिस से की घर जाकर आप स्वयं की देखभाल सही तरीके से कर सकें.

स्टोमा के ऊपर मल को इकठा करने के लिए बैग लगाया जाता है जो की स्टोमा बैग कहलाता है. आज कल विशेष तरह के स्टोमा बैग उपलब्ध हैं जिस से की मरीज़ की देखभाल काफी आसान हो जाती है और मरीज़ अपना जीवन लगभग नार्मल तरह से जी सकता है.

इन आधुनिक बैग्स को बार बार नहीं बदलना पड़ता. कुछ बैग्स में मल की बदबू बाहर न आये इस का भी इंतज़ाम होता है. आधुनिक बैग्स और कुछ क्रीम्स उपलब्ध हैं जिस से की स्टोमा के आस पास की स्किन चमड़ी खराब न हो

आप को अपना बैग बार बार खाली करते रेहाना चाहिए . इस से आप के बैग की लाइफ स्पेन बढ़ जाएगा और आप के कपड़ों के अंदर ये छुपा भी रहेगा

स्टोमा बैग चेंज कैसे करना है

जब भी आप का बैग लीक करे तो तुरंत बैग चेंज करना चाहिए क्यों की मल यदि स्किन के कांटेक्ट में ज्यादा देर रहेगा तो स्किन खराब होने लगेगी…. हालांकि इस से बचने के लिए बैरियर क्रीम्स आती हैं पर बचाव में ही समझदारी है .

याद रहे की स्टोमा के आस पास की चमड़ी को कभ भी रगड़ें नहीं . ऐसा करने से त्वचा छिल जाएगी फिर उसे ठीक होने में समय लगेगा. त्वचा को गीली रुई से हलके हाथ से ऐसे साफ़ करना है जैसे नवजात शिशु के मलद्वार को साफ़ करते हैं. साफ़ करने के बाद कोई भी चिकना पदार्थ जैसे की वैसेलिन जेली या तेल नहीं लगाएं क्यों की फिर बैग अच्छे ढंग से नहीं चिपकेगा. स्टोमा बैरियर क्रीम्स का ही इस्तेमाल करें. कभी कभी त्वचा छिल चुकी होती है और वहां घाव बन जाते हैं. ऐसी स्थिति होने पर स्टोमा नर्स या डॉक्टर से मिलना चाहिए.

स्टोमा बैग को निकालते समय उसे खींचें नहीं बल्कि गीला कर के त्वचा को नीचे की तरफ धकेलें इस से बैग अपने आप उखड़ने लगेगा.

स्टोमा बैग कैसे चेंज करना है इस की जानकारी आप को हॉस्पिटल में ही दे दी जाती है. हमारे हॉस्पिटल की स्टोमा नर्स का नंबर आप को दिया जाता है जिस से की आप उन से कभी भी अपनी समस्या का हल प्राप्त कर सकते हैं. कुछ वीडियो यू टियूब पर भी उपलब्ध हैं

स्टोमा के साथ खान – पान

आपके डॉक्टर  आपको आपकी सर्जरी के बाद खाने पीने के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देश देंगे.  इन दिशानिर्देशों को और अधिक समझने के लिए अस्पताल में रहने के दौरान आप आहार विशेषज्ञ  (डायटीशियन ) से भी मिलेंगे।

कुछ दिशानिर्देश इस प्रकार हैं :

  • हाइड्रेटेड रहना
  • दिन में कम से कम 8 से 10  गिलास तरल पदार्थ पिएं।
  • कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें। वे आपको निर्जलित कर सकते हैं।

यदि आप पेट में दर्द या निर्जलीकरण के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो अपने डायटीशियन से संपर्क करें। लक्षणों में शामिल हैं:

  • अधिक प्यास
  • सूखा मुँह
  • भूख में कमी
  • दुर्बलता
  • मूत्र उत्पादन में कमी
  • गहरा  रंग का मूत्र
  • मांसपेशियों, पेट या पैर में ऐंठन
  • बेहोश होने जैसा
  • सामान्य से अधिक मल त्याग या निरंतरता में परिवर्तन
  • बार बार बैग खाली करने की जरूरत

यदि आप के स्टोमा से मल आना बंद हो जाये और पेट में दर्द हो तो तुरंत खाना पीना बंद कर दीजिये और अपने ट्रीटिंग डॉक्टर से संपर्क करिये

किसी भी व्यक्ति के लिए स्टोमा होना नार्मल बात नहीं है . मरीज़ को अपनी बीमारी के साथ साथ मानसिक लड़ाई भी लड़ना पड़ती है . किन्तु यकीन मानिये आज कल स्टोमा के रखरखाव के लिए इतने आधुनिक साजोसामान उपलब्ध है की यदि सही तरीके से इनका इस्तेमाल किया जाए तो स्टोमा के साथ आसानी से रहा जा सकता है

इन सब बातों का ध्यान रखते हुए आशा करते हैं की आप अपने स्टोमा के साथ भली भाँती दोस्ती कर लेंगे. स्टोमा आप की दुश्मन नहीं मित्र है…… आप के जीवन को बचाने के लिए हो स्टोमा को बनाया जाता है

About Dr. Digant Pathak

Dr. Digant Pathak

डॉ. दिगंत पाठक, जबलपुर अस्पताल, रसल चौक के लैप्रोस्कोपिक और गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रमुख हैं। डॉ दिगंत पाठक को 20 वर्षो से अधिक का सर्जिकल अनुभव है एवं वे 10,000 से अधिक सर्जरी सफलपूर्वक कर चुके है जिस में जबलपुर शहर के प्रतिष्ठित और गणमान्य नागरिक शामिल हैं। वे शहर के एकमात्र सर्जन हैं जो उच्च स्तरीय लैप्रोस्कोपिक और पारंपरिक ओपन सर्जरी दोनों को सफलतापूर्वक करते हैं।

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