परिचय
महिलाओं के लिए हर्निया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, खासकर जब वे गर्भावस्था के दौरान इसका अनुभव करती हैं। इस स्थिति को अनदेखा करना जटिलताओं का कारण बन सकता है। आज हम जानेंगे कि महिलाओं में हर्निया और गर्भावस्था का संबंध क्या है, इसके लक्षण, जोखिम, और सही इलाज क्या हो सकता है। इस लेख में डॉ. दिगंत पाठक, जो जबलपुर के अग्रणी हर्निया विशेषज्ञ हैं, की सलाह और उनके सर्जिकल अनुभव पर प्रकाश डाला जाएगा।
हर्निया क्या होता है?
हर्निया तब होता है जब शरीर के किसी आंतरिक अंग या ऊतक कमजोर मांसपेशियों के कारण बाहर की ओर निकल आते हैं। महिलाओं में, गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से हर्निया का जोखिम बढ़ जाता है।
महिलाओं में आम प्रकार के हर्निया:
- उम्बिलिकल हर्निया: नाभि के पास होता है और गर्भावस्था के दौरान अधिक सामान्य है।
- इंग्वाइनल हर्निया: कमर के निचले हिस्से में, महिलाओं में दुर्लभ लेकिन गंभीर।
- हायटस हर्निया: पेट के ऊपरी हिस्से में, अक्सर एसिडिटी की समस्या के साथ।
हर्निया के लक्षण
- नाभि या पेट के पास सूजन या उभार।
- खांसने या भारी सामान उठाने पर दर्द।
- गर्भावस्था के दौरान असहजता या पेट में भारीपन।
- एसिडिटी या पाचन संबंधी समस्या (हायटस हर्निया में)।
अगर इन लक्षणों को समय पर पहचाना न जाए, तो यह गंभीर जटिलताओं में बदल सकते हैं।
गर्भावस्था और हर्निया: जोखिम और कारण
गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं की पेट की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे हर्निया का जोखिम बढ़ जाता है। इसके मुख्य कारण हैं:
- गर्भ का बढ़ता दबाव: पेट की मांसपेशियों पर तनाव।
- पुरानी सर्जरी का निशान: पिछले सिजेरियन या पेट की सर्जरी।
- मोटापा: अतिरिक्त वजन मांसपेशियों पर दबाव बढ़ा सकता है।
डॉ. दिगंत पाठक बताते हैं, “गर्भावस्था में हर्निया की पहचान और सही इलाज समय पर होना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल मां बल्कि बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ सकता है।”
हर्निया का निदान और जटिलताएं
डायग्नोसिस के लिए शारीरिक परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, और सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है। अगर हर्निया का इलाज न किया जाए, तो यह निम्नलिखित जटिलताएं पैदा कर सकता है:
- स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया: खून का प्रवाह रुक जाना।
- आंतों में अवरोध: पाचन प्रक्रिया रुक सकती है।
हर्निया का इलाज
हालांकि कुछ लोग घरेलू उपाय और बेल्ट जैसे अस्थायी उपाय अपनाते हैं, लेकिन ये केवल अस्थायी राहत देते हैं। हर्निया का स्थायी इलाज केवल सर्जरी है।
सर्जरी के विकल्प:
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी: आधुनिक और न्यूनतम दर्द वाली तकनीक, जिसमें मरीज को 24-48 घंटों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
- ओपन सर्जरी: पारंपरिक विधि, गंभीर मामलों के लिए।
डॉ. दिगंत पाठक ने बताया, “हर्निया की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी गर्भावस्था से पहले या बाद में की जा सकती है, और यह सुरक्षित, तेज और प्रभावी होती है।”
डिस्क्लेमर: अगर जटिलता नहीं है, तो लैप्रोस्कोपिक सर्जरी तेज होती है। लेकिन कुछ मामलों में अधिक समय लग सकता है।
विशेषज्ञ की सलाह
डॉ. दिगंत पाठक के अनुसार:
- गर्भावस्था के दौरान हर्निया के लक्षणों को नज़रअंदाज न करें।
- सही समय पर निदान और इलाज कराएं।
- सर्जरी से डरने की आवश्यकता नहीं है; यह सुरक्षित और स्थायी समाधान है।
डॉ. पाठक ने 20+ वर्षों के अनुभव में 12,000+ मरीजों का सफल इलाज किया है। वे यूरोपियन हर्निया सोसाइटी और एशिया पैसिफिक हर्निया सोसाइटी के सदस्य हैं। उनकी सर्जरी की सफलता दर जबलपुर में सबसे अधिक है।
निष्कर्ष
महिलाओं में हर्निया और गर्भावस्था का सही इलाज समय पर होना चाहिए। सर्जरी न केवल स्थायी समाधान है, बल्कि यह मरीज की जीवन गुणवत्ता को भी बेहतर बनाती है। अगर आप या आपके परिजन इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ से सलाह लें।
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डॉ. दिगंत पाठक
हर्निया विशेषज्ञ, केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जबलपुर
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