परिचय
गॉल ब्लैडर स्टोन यानी पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। यह तब होती है जब पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन और पित्त नमक से बनी ठोस संरचनाएँ जमा हो जाती हैं। यह स्थिति दर्दनाक हो सकती है और सही उपचार के बिना जटिलताओं का कारण बन सकती है।
कई लोग आयुर्वेदिक उपचार या घरेलू उपायों की ओर रुख करते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि गॉल ब्लैडर स्टोन का स्थायी समाधान क्या है। डॉ. दिगंत पाठक, जबलपुर के प्रमुख गैस्ट्रो सर्जन, इस विषय पर स्पष्ट करते हैं कि सर्जरी ही इसका सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
गॉल ब्लैडर स्टोन क्या है?
गॉल ब्लैडर स्टोन छोटे या बड़े ठोस कण होते हैं जो पित्ताशय में बनते हैं। ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
- कोलेस्ट्रॉल स्टोन: जो कोलेस्ट्रॉल के जमा होने से बनते हैं।
- पिगमेंट स्टोन: जो बिलीरुबिन के अधिक उत्पादन के कारण बनते हैं।
यह समस्या महिलाओं, मोटे व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक पाई जाती है।
गॉल ब्लैडर स्टोन के लक्षण
गॉल ब्लैडर स्टोन के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते। लेकिन जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है, निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं:
- पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में तेज दर्द
- खाना खाने के बाद बेचैनी
- मतली और उल्टी
- पीठ और कंधे में दर्द
- पीलिया (यदि पथरी बाइल डक्ट में अटक जाए)
डॉ. दिगंत पाठक बताते हैं, “यदि इन लक्षणों को अनदेखा किया जाए, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।”
गॉल ब्लैडर स्टोन के कारण और जोखिम कारक
गॉल ब्लैडर स्टोन के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन
- मोटापा
- परिवार में इस समस्या का इतिहास
- डायबिटीज
- पित्ताशय के सही से काम न करने की समस्या
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण में इन कारणों को नियंत्रित करने के उपाय बताए जाते हैं, लेकिन यह स्थायी समाधान प्रदान नहीं कर सकता।
गॉल ब्लैडर स्टोन का निदान और जटिलताएं
गॉल ब्लैडर स्टोन का निदान अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, या ईआरसीपी जैसे परीक्षणों से किया जाता है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह निम्नलिखित जटिलताओं का कारण बन सकता है:
- चोलांगाइटिस: बाइल डक्ट का संक्रमण
- पैंक्रिएटाइटिस: अग्न्याशय में सूजन
- गॉल ब्लैडर का फट जाना
आयुर्वेद बनाम सर्जरी: कौन सा बेहतर है?
आयुर्वेद में गॉल ब्लैडर स्टोन के लिए कुछ उपाय और खानपान के सुझाव दिए जाते हैं, जो लक्षणों को अस्थायी रूप से कम कर सकते हैं। लेकिन यह पथरी को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम नहीं है।
डॉ. दिगंत पाठक के अनुसार, “गॉल ब्लैडर स्टोन का एकमात्र स्थायी समाधान सर्जरी है। यदि पथरी का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह जटिलताओं का कारण बन सकती है।”
सर्जिकल विकल्प
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी
- यह सबसे आधुनिक और सुरक्षित तरीका है।
- इसमें छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे कम दर्द होता है और जल्दी रिकवरी होती है।
- आमतौर पर मरीज 24-48 घंटे में अस्पताल से छुट्टी पा सकते हैं।
- ओपन सर्जरी
- यह तब की जाती है जब समस्या जटिल हो।
- रिकवरी में अधिक समय लगता है।
डॉ. पाठक, जिन्होंने 20 वर्षों में 12,000 से अधिक मरीजों का इलाज किया है, कहते हैं, “लैप्रोस्कोपिक सर्जरी तेज, सुरक्षित और मरीज के लिए सुविधाजनक है।”
विशेषज्ञ की सलाह
गॉल ब्लैडर स्टोन के इलाज के लिए सही समय पर निर्णय लेना जरूरी है। डॉ. पाठक, जो यूरोपियन हर्निया सोसाइटी और एशिया पैसिफिक हर्निया सोसाइटी के सदस्य हैं, कहते हैं, “आधुनिक सर्जिकल तकनीक से मरीजों का जीवन बेहतर होता है। जटिल मामलों में भी सर्जरी के परिणाम बहुत सकारात्मक होते हैं।”
निष्कर्ष
गॉल ब्लैडर स्टोन का स्थायी इलाज केवल सर्जरी है। आयुर्वेदिक उपाय लक्षणों को कम कर सकते हैं, लेकिन वे समस्या का समाधान नहीं कर सकते। जबलपुर में डॉ. दिगंत पाठक जैसे विशेषज्ञ से सलाह लेकर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कराना सबसे अच्छा विकल्प है।
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या ईमेल करें: digantpathak@yahoo.com
केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जबलपुर।